Jo aa na paye kabhi labon pe, main woh baat likhta hun,
meri mohabbat pe tu hans di, ab zazbat likhta hun,
bada hi zalim hai ye ishq, nafrat paida kar deta,
tujhse nafrat ko bhi main, mohabbat hi likhta hun....
जो आ ना पाए कभी लबों पे , मैं वह बात लिखता हूँ ,
मेरी मोहब्बत पे तू हँस दी , अब ज़ज्बात लिखता हूँ ,बड़ा ही ज़ालिम है ये इश्क , नफरत पैदा कर देता ,
तुझसे नफरत को भी मैं , मोहब्बत ही लिखता हूँ ।
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