तुम हसीन , सूरज की उत्तेजना हो,
तुम ही, कोहिनूर की प्रेरणा हो,
वीराना रात, मुझे हर पल तड़पाता है,
सबसे ज्यादा, तेरा गुस्सा याद आता है ।
घूर के देखा, आँखें बड़ी हो जाती थी ,
कुछ न बोलकर , भी तू डरा जाती थी ,
गुस्से प्यार तुझपर आता है ,
यारा, तेरा गुस्सा याद आता है ।
तू शांत भी है, और चंचल भी,
सफ़ेद कमल, रंग बिरंगी तितली भी,
तेरी शरारतें, दिल हंस के रो देता है,
मुझे तेरा गुस्सा याद आता है ।
कुछ न कहा, सब समझ गयी तुम,
आँखों से बातें कर लेते थे हम,
तुम साथ हो तो, रोना भी अच्छा लगता है,
तेरा गुस्सा बड़ा याद आता है ।
तंग किया, बहुत सताया है तुमने,
डांटा भी, गले लगाया भी तुमने,
तुम हो तो अँधेरा भी रंगीन लगता है,
शायद इसलिए, तेरा गुस्सा याद आता है ।