Monday, 18 January 2016

Gussa


तुम  हसीन , सूरज की उत्तेजना हो, 
तुम ही, कोहिनूर की प्रेरणा हो, 
वीराना रात, मुझे हर पल तड़पाता है, 
सबसे ज्यादा, तेरा गुस्सा याद आता है । 


घूर के देखा, आँखें बड़ी हो जाती थी ,
कुछ न बोलकर , भी तू डरा जाती थी ,
गुस्से  प्यार तुझपर आता है ,
यारा, तेरा गुस्सा याद आता है । 


तू शांत भी है, और चंचल भी, 
सफ़ेद कमल, रंग बिरंगी तितली भी, 
तेरी शरारतें, दिल हंस के रो देता है,
मुझे तेरा गुस्सा याद आता है । 


कुछ न कहा, सब समझ गयी तुम,
आँखों से बातें कर लेते थे हम, 
तुम साथ हो तो, रोना भी अच्छा लगता है,
तेरा गुस्सा बड़ा याद आता है । 


तंग किया, बहुत सताया है तुमने,
डांटा भी, गले लगाया भी तुमने,
तुम हो तो अँधेरा भी रंगीन लगता है,
शायद इसलिए, तेरा गुस्सा याद आता है । 



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