Thursday 3 April 2014

Kahaani



मैं लिखूंगा ,

दर्द में डूबे हुए जज़बातों पे ,
सुनसान चीखती हुई  रातों पे ,
आइना जिन्हे देख मुरझा जाये ,
हंसी जिनसे नाराज़ हो जाये ,
मैं उनकी कहानी लिखूंगा । 

दर्द शब्दों में बयान ना हो पाये ,
फरिश्तों से जिन्हे शिकवा हो जाये ,
रोने की जो कोशिश तो करे बहुत ,
लेकिन आंसुओं को मना ना पाए ,
मैं उनकी कहानी लिखूंगा । 

जीने की जिसकी कोई वजह ना हो ,
हरा भरा पेड़ ठूठ बन गया हो ,
उम्मीद के पत्तों को टूटते हुए देखा हो ,
हसरतों को पीछे छूटते देखा हो ,
मैं उनकी कहानी लिखूंगा । 

धूप में भी अँधेरा दिखायी दे ,
जिनकी रातों को ना सवेरा दिखायी दे ,
बारीश भी जिन्हे भीगने ना दे ,
तारा जो टूटे , एक ख्वाइश की क़त्ल कर दे ,
मैं उनकी कहानी लिखूंगा । 

लिख के कहानी खो जाऊंगा कहीं ,
खुद पे थोड़ा तब आएगा यकीन ,
इलज़ाम दूसरों पे आएगा लेकिन ,
छुपा के उनमे अपनी कहानी लिखूंगा ,
मैं एक ऐसी कहानी लिखूंगा । 


2 comments:

  1. जिंदगी की इस भाग-दौड़ में
    मैं से थोडा समय निकाल
    किस्से-कहानियों से परे
    आओ मिल कर हम और तुम
    एक सुन्दर संसार बनाते हैं . . .

    ReplyDelete